सिद्धार्थनगर - भक्त प्रहलाद व श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुन हर्षित हुए श्रद्धालु - NATION WATCH (MAGZINE) (UPHIN-48906)

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Monday, June 27, 2022

सिद्धार्थनगर - भक्त प्रहलाद व श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुन हर्षित हुए श्रद्धालु





संतोष कौशल





बिस्कोहर । जिस समय असुर संस्कृति शक्तिशाली हो रही थी, उस समय असुर कुल में एक अदभूत बालक भक्त प्रहलाद का जन्म हुआ था। उनके पिता हिरण्यकश्यप देवताओं से वरदान प्राप्त कर निरंकुश हो गए थे। इसके बावजूद भक्त प्रहलाद विष्णु भक्त होने के साथ ईश्वर में उनकी अटूट आस्था थी। यही वजह है कि भक्त प्रहलाद के जीवन चरित्र से लोगों को सीख मिलती है। यह बातें शनिवार की रात कथा व्यास मोहनदास शास्त्री ने नगर पंचायत बिस्कोहर के हनुमानगढ़ ज्ञान लोक नारद कुटी मंदिर परिसर में चल रही नौ दिवसीय श्रीहनुमत महायज्ञ के चौथे दिन कही। उन्होंने कहा कि धरती पर रहने वाले सभी इंसान भक्त प्रहलाद को एक विष्णु भक्त के नाम से जानते हैं , क्योंकि प्रहलाद बचपन से ही विष्णु भक्त थे। इसका मुख्य वजह यह रहा कि नारदजी के आश्रम में ही भक्त प्रहलाद का जन्म हुआ था। जहां वह ऋषियों और संतो के साथ रहकर छोटी उम्र में ही वेद भक्ति का ज्ञान अर्जित कर लिया था। जब एक दिन हिरण्यकश्यप प्रहलाद से पूछ बैठे कि तुम्हे क्या करना पसंद है। प्रहलाद ने बड़े नम्र स्वर में जवाब दिया कि मुझे हरि की भक्ति करना पसंद है। यह सुनते ही हिरण्यकश्यप गुस्से से तिलमिला उठा। क्योंकि उसके बड़े भाई हिरण्याक्ष को भगवान विष्णु ने बध किया था। पिता ने प्रहलाद को बहुत समझाने की कोशिश किया कि हरि भक्ति करना छोड़ दे। लेकिन प्रहलाद की भक्ति श्री हरि के प्रति दिनोदिन बढ़ती चली गई और कहा कि पिताजी ईश्वर सर्ववयापी हैं। वे सवत्र विराजमान हैं। भक्त प्रहलाद की यह बात सुनते ही हिरण्यकश्यप गुस्से से गरज उठा और कहा कि क्या तेरा विष्णु महल के इस खंभे में भी है। प्रहलाद ने मधुर स्वर में जवाब दिए कि हां पिताजी इस खंभे में भी भगवान का वास है। गुस्से में आकर हिरण्यकश्यप ने गदा से खंभे पर प्रहार कर दिया। खंभे से भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार का रूप लेकर निकल पड़े और हिरण्यकश्यप को मिले वरदान से हिरण्यकश्यप को अपने जांध पर रखकर गोधुली बेला में अपने लंबे-लंबे नाखुन से उसका सीना चीर कर बध कर दिया। इस दौरान कथा व्यास के द्वारा श्रीकृष्ण जन्म की कथा भी मार्मिक ढंग से भक्तो को सुनाई गई। 

इस अवसर पर यज्ञ संरक्षक देवरामदास वेदांती , मुख्य यजमान हरीश चंद्र गुप्ता,  अमर नाथ पांडे , सुधीर कुमार त्रिपाठी, पप्पू गुप्ता , राजेश यादव , राजेंद्र गुप्ता , अजय मौर्या आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।

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