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Friday, July 6, 2018

इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने कहा है कि, बीस साल बाद याचिका वैकल्पिक उपचार के आधार पर खारिज नहीं की जा सकती।


इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने कहा है कि, बीस साल बाद याचिका वैकल्पिक उपचार के आधार पर खारिज नहीं की जा सकती। वर्षों बीत जाने के बाद बिना सुने याचिका खारिज करना सही नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने एकलपीठ के आदेश को रद करते हुए नए सिरे से निर्णय के लिए याचिका वापस कर दी है। यह आदेश जस्टिस एमसी त्रिपाठी और जस्टिस नीरज तिवारी की खंडपीठ ने आठवीं बटालियन पीएसी बरेली के कॉन्स्टेबल गणेश कुमार की अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। याची को लम्बी छुट्टी के बाद नशे की हालत में कार्यभार संभालते समय अधिकारियों से दुर्व्यवहार करने के आरोप में निलम्बित कर दिया गया था।

आज की सत्ता ब्यूरो

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