संतोष कौशल
बिस्कोहर । नगर पंचायत बिस्कोहर के अटल नगर वार्ड में मोहल्ला बेलवा बाबू आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथावाचक दयानंद शुक्ला ने ध्रुव चरित्र का प्रसंग सुनाया। कथा को सुनकर श्रद्धालु भाव विभाग हो गए।
कथावाचक ने ध्रुव चरित्र की कथा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि उत्तानपाद की दो पत्नियां सुरुचि और सुनीति थी। सुरुचि के पुत्र का नाम उत्तम और सुनीति के पुत्र का नाम ध्रुव था।उन्होंने कहा कि जीव मात्र उत्तानपाद है। माता के गर्भ में रहने वाले सभी जीव उत्तानपाद हैं। जीव मात्र की दो पत्नियां होती हैं। सुरुचि और सुनीति। इंद्रियां जो भी मांगे उन विषयों का उपयोग करने की इच्छा ही सुरुचि है। उत्तम का भाव है उद माने ईश्वर और तम माने अंधकार।अज्ञान ईश्वर के स्वरूप का अज्ञान ही उत्तम का स्वरूप है। इंद्रियों के दास होने पर ईश्वर स्वरूप का ज्ञान नहीं हो सकता, क्योंकि वह सुरुचि में फंसा है और विलासी जीवन जीता है। वह ईश्वर को नहीं पहचान सकता। इसी तरह सुनीति का पुत्र ध्रुव है जो अविनाशी, अनंत और ब्रह्मानंद हैं, जो कभी नष्ट नहीं होने वाला है। मनुष्य यदि सुनीति के आधीन है तो सदाचारी बनता है। पहला क्षणिक सुख देता है और दूसरा अंत में सुख देता है। इस अवसर पर जसवंत सिंह, हीरा देवी, पंकज सिंह, मनोज सिंह, आर्यन, अंकुर आदि श्रद्धालु मौजूद रहें।
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