किसान आंदोलन: कृषि कानूनों पर लग सकती है रोक - NATION WATCH - बदलते भारत की आवाज़ (MAGZINE)

Latest

Advertise With Us:

Advertise With Us:
NationWatch.in

Search This Blog

Breaking News

जहां रामनवमी के दौरान सांप्रदायिक हिंसा हुई वहां न हो लोकसभा चुनाव- कलकत्ता HC की टिप्पणी*बीजेपी ने लद्दाख से मौजूदा सांसद का टिकट काटकर ताशी ग्यालसन को बनाया कैंडिडेट*अरविंद केजरीवाल और के कविता की न्यायिक हिरासत 7 मई तक बढ़ी*शराब घोटाला केस: के कविता की न्यायिक हिरासत 7 मई तक बढ़ी,*दिल्ली HC ने लोकपाल के आदेश को चुनौती देने वाली JMM की याचिका पर नोटिस जारी किया*कन्हैया कुमार बोले- मनोज तिवारी अगर जीत रहे है तो 40 डिग्री में क्यों रैली कर रहे हैं*केरल HC ने BJP के राजीव चंद्रशेखर द्वारा दायर नामांकन पत्र को रद्द करने की मांग वाली याचिका खारिज की*कर्नाटक: कांग्रेस नेता रमेश बाबू ने PM मोदी को लेकर दिया विवादित बयान*पतंजलि मामले में 30 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई, बाबा रामदेव होंगे SC में पेश*बेंगलुरु एयरपोर्ट पर बैंकॉक से आने वाले एक यात्री से 10 एनाकोंडा जब्त किए गए*अब आप चैन से हनुमान चालीसा भी गाएंगे और रामनवमी भी मनाएंगे, ये BJP की गारंटी है: PM मोदी || [Nation Watch - Magazine - Title Code - UPHIND-48906]

Nation Watch


Monday, January 11, 2021

किसान आंदोलन: कृषि कानूनों पर लग सकती है रोक



सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को किसान आंदोलन को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कृषि कानूनों पर रोक लगाए जाने के संकेत दिए। कोर्ट ने कृषि कानूनों को लेकर कमेटी की जरूरत को बताते हुए कहा कि अगर समिति ने सुझाव दिया तो, वह इसके क्रियान्वयन पर रोक लगा देगा। मामले की सुनवाई कर रही पीठ ने आर. एम. लोढ़ा सहित सभी पूर्व सीजेआई के नाम कमेटी के अध्यक्ष पद के लिए भी दिए। कोर्ट ने कहा, ''हम, हमारे द्वारा नियुक्त की जाने वाली कमेटी के जरिए से कृषि कानूनों की समस्या के समाधान के लिए आदेश पारित करने का प्रस्ताव कर रहे हैं।'' हालांकि, केंद्र सरकार ने कहा कि कमेटी के लिए वह नाम सुझाएंगे। माना जा रहा है कि आज या कल सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कोई आदेश दे सकता है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सरकार उसे संयम पर भाषण न दे। मालूम हो कि शीर्ष अदालत प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के साथ सरकार की बातचीत में गतिरोध बरकरार रहने के बीच नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं और दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई कर रही थी।

कोर्ट ने कानूनों पर रोक लगाने का दिया संकेत
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार से सवाल किया कि कृषि कानूनों पर आप रोक लगाएंगे या हम लगाएं। कोर्ट ने कहा कि हम अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ नहीं हैं, आप बताएं कि सरकार कृषि कानून पर रोक लगाएगी या हम लगाएं। इसके बाद केंद्र सरकार ने नए कृषि कानूनों पर रोक लगाने का विरोध किया। सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने कोर्ट से कहा कि किसी कानून पर तब तक रोक नहीं लगाई जा सकती, जब तक वह मौलिक अधिकारों या संवैधानिक योजनाओं का उल्लंघन ना करें। सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों को लेकर समिति की आवश्यकता को दोहराया और कहा कि अगर समिति ने सुझाव दिया तो, वह इस कानून के लागू होने पर रोक लगा देगा।

बहुत समय दे चुके, हमें संयम पर भाषण न दें: सरकार से SC
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को कई बार फटकार लगाई। सरकार का पक्ष रख रहे एजी के. के. वेणुगोपाल के और समय मांगने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि श्रीमान अटॉर्नी जनरल हम आपको बहुत समय दे चुके हैं, कृपया आप हमें संयम पर भाषण ना दें। वहीं, कोर्ट ने कहा कि नए कृषि कानूनों को लेकर जिस तरह से केंद्र और किसानों के बीच बातचीत चल रही है, उससे वह बेहद निराश है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा, ''क्या चल रहा है? राज्य आपके कानूनों के खिलाफ बगावत कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ''हम बातचीत की प्रक्रिया से बेहद निराश हैं।'' पीठ ने कहा, ''हम आपकी बातचीत को भटकाने वाली कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन हम इसकी प्रक्रिया से बेहद निराश हैं।'' 

किसानों से क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
पीठ में न्यायमूर्ति एस. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी. सुब्रमण्यम भी शामिल थे। पीठ ने आगे कहा कि  हमारे समक्ष एक भी ऐसी याचिका दायर नहीं की गई, जिसमें कहा गया हो कि ये तीन कृषि कानून किसानों के लिए फायदेमंद हैं। वहीं, कोर्ट ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों से सुनवाई के दौरान कहा कि आपको भरोसा हो या नहीं, हम भारत की शीर्ष अदालत हैं, हम अपना काम करेंगे।

बेनतीजा साबित हुई है किसानों-सरकार की बातचीत
केंद्र और किसान संगठनों के बीच सात जनवरी को हुई आठवें दौर की बाचतीच में भी कोई समाधान निकलता नजर नहीं आया क्योंकि केंद्र ने विवादास्पद कानून निरस्त करने से इनकार कर दिया था जबकि किसान नेताओं ने कहा था कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं और उनकी 'घर वापसी' सिर्फ 'कानून वापसी' के बाद होगी। केंद्र और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक प्रस्तावित है। वहीं, किसानों का स्पष्ट कहना है कि वे 26 जनवरी को दिल्ली में परेड निकालकर रहेंगे। किसान नेता राकेश टिकैत कह चुके हैं कि एक तरफ तोप की परेड निकलेगी तो दूसरी ओर किसान अपने ट्रैक्टरों से परेड में हिस्सा लेंगे। 

No comments:

Post a Comment

If you have any type of news you can contact us.

AD

Prime Minister Narendra Modi at the National Creators' Awards, New Delhi

NATION WATCH -->