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Thursday, December 24, 2020

PM सुन लें, कृषि कानून वापस होने तक नहीं जाएंगे किसान - राहुल गांधी

कृषि कानूनों पर घमासान जारी है। केंद्र के नए कृषि कानूनो के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान पिछले 29 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हुए हैं। सरकार और किसानों के बीच में कई दौर की बातचीत हो चुकी है, मगर सभी बेनतीजा रही हैं। किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की मांग पर अड़े हैं। अब इन किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी सड़क पर उतर चुके हैं। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस मार्च करने जा रही है। राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और सांसदों ने आज यानी 24 दिसंबर को कराष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिले और दो करोड़ किसानों के हस्ताक्षरों के साथ ज्ञापन सौंपा। इसमें केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने का आग्रह किया गया है।



  राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी पूंजीपतियों के लिए पैसे बना रहे हैं। जो भी उनके खिलाफ खड़ा होने की कोशिश करेगा, उसे आतंकी कहा जाएगा- चाहे किसान हो, मजदूर हो या मोहन भागवत ही क्यों ना हों। दिल्ली पुलिस  प्रियंका गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं को मंदिर मार्ग पुलिस थाने लेकर गई।राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने के बाद राहुल गांधी ने कहा कि मैं पीएम से कहना चाहता हूं कि ये किसान कृषि कानूनों को वापस लिए जाने तक वापस नहीं जाएंगे। सरकार को संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए और इन कानूनों को वापस लेना चाहिए। विपक्षी पार्टियां किसानों-मजदूरों के साथ खड़ी हैं।

कृषि कानूनों के खिलाफ ज्ञापन लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, गुलाम नबी आजाद और अधीर रंजन चौधरी राष्ट्रपति भवन पहुंचे हैं। इसके बाद राहुल गांधी ने कहा कि मैंने राष्ट्रपित को कहा है कि ये कृषि कानून किसान विरोधी हैं। देश ने देखा है कि किसान इन कानूनों के खिलाफ खड़े हैं।



जवान किसान का बेटा होता है, जो किसानों की आवाज ठुकरा रहा है, अपनी जिद्द पर अड़ा हुआ है जबकि देश का अन्नदाता बाहर ठंड में बैठा है तो उस सरकार के दिल में क्या जवान, किसान के लिए आदर है या सिर्फ अपनी राजनीति, अपने पूंजीपति मित्रों का आदर है? :कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा / दिल्ली पुलिस ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को पुलिस हिरासत में ले लिया है।

दिल्ली: राष्ट्रपति भवन तक कांग्रेस के मार्च को पुलिस ने रोक दिया है। इस पर प्रियंका गांधी ने कहा, 'इस सरकार के खिलाफ किसी भी असंतोष को आतंक के तत्वों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। हम किसानों के समर्थन में आवाज बुलंद करने के लिए यह मार्च कर रहे हैं।'

चाणक्यपुरी एसीपी प्रज्ञा ने कहा कि केवल उन नेताओं को राष्ट्रपति भवन जाने की अनुमति होगी, जिनके पास अनुमति है।



राष्ट्रपति भवन तक मार्च से पहले राहुल गांधी पार्टी के सीनियर नेताओं और सांसदों से पार्टी मुख्यालय पर मिले। कुछ देर में वह कृषि कानूनों के खिलाफ दो करोड़ हस्ताक्षर वाला ज्ञापन सौंपने राष्ट्रपति भवन जाएंगे।

मार्च से पहले राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'भारत के किसान ऐसी त्रासदी से बचने के लिए कृषि-विरोधी क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं। इस सत्याग्रह में हम सबको देश के अन्नदाता का साथ देना होगा।'

-राहुल गांधी के मार्च को दिल्ली पुलिस ने इजाजत नहीं दी है। दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त डीसीपी दीपक यादव ने कहा कि आज राष्ट्रपति भवन में कांग्रेस के मार्च के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई है। हालांकि, ज्ञापन सौंपने राष्ट्रपति भवन जाने वाले तीन नेताओं को जाने दिया जाएगा।

-गाज़ीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। 

एक प्रदर्शनकारी ने बताया, "जब तक कानून वापस नहीं लिया जाता तब तक हम हटेंगे नहीं..चाहे 10 साल लग जाएं। 6 बार की बातचीत हो चुकी है। सरकार चाहती तो हल निकाल सकती थी।"

पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक बयान में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने पहले कृषि विरोधी कानून बनाकर किसानों को दर्द दिया और अब उसके मंत्री अन्नदाताओं का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने कहा-कृषि विरोधी कानूनों को लेकर चल रहे सतत विरोध को आगे बढ़ाने और मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने कानूनों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी हस्ताक्षर अभियान शुरू किया था। इन कानूनों को वापस लेने की मांग के पक्ष में करीब दो करोड़ लोगों के हस्ताक्षर एकत्र किए गए हैं।  कांग्रेस नेता ने दावा किया कि भीषण सर्दी के बीच किसान 28 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं, अब तक 44 किसानों की जान जा चुकी है, अहंकारी सरकार के मंत्री किसानों का अपमान कर रहे हैं।

गौरतलब है कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर से ही हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हैं। तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर जमे किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ठोस लिखित प्रस्ताव के साथ आए, हम वार्ता के लिए तैयार हैं। केंद्र सरकार के रविवार देर रात वार्ता के भेजे गए प्रस्ताव पर किसान संगठनों ने बुधवार को स्पष्ट कहा कि कृषि कानूनों में संशोधन के लिए हम तैयार नहीं हैं, प्रस्ताव भेज कर बार-बार इसका दोहराव नहीं करें। सरकार के उक्त प्रस्ताव को पहले ही खारिज किया जा चुका है। तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने से कम पर बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकलेगा।

दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओ ने पत्रकारों से कहा कि हैरानी की बात है कि इतना समय बीतने के बाद भी सरकार को किसानों की मांगें समझ में नहीं आ रही हैं। भाकियू नेता युद्ववीर सिंह ने कहा कि सरकार बार-बार एक ही तरह का प्रस्ताव भेजकर गुमराह करने की कोशिश कर रही है। सरकार यह संदेश देना चाहती है कि किसान जिद पर अड़े हैं, बात करने को तैयार नहीं हैं। हकीकत यह है कि इस बात को कोई नौसिखिया भी समझ सकता है कि सरकार आंदोलन को लंबा खींचना चाहती है जिससे ठंड में आंदोलन टूट जाए।

सरकार आंदोलन को हल्के में लेने की गलती नहीं करे। देश भर के किसान आंदोलन में हिस्सा लेने पहुंच रहे हैं और बगैर कृषि कानूनों को रद्द किए किसान यहां से जाने वाले नहीं हैं। सीमाओं पर ड्यूटी कर रहे जवान भी समझ रहे हैं कि उनका परिवार ठंड में सड़कों पर पड़ा है। इसके दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं।

अमेरिका में किसान मजदूर बन गए:
किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा कि कानून बनाकर सरकार खेतीबाड़ी को कॉरपोरेट के हवाले करना चाहती है। सरकार ने पहले भरोसा दिया कि ठोस प्रस्ताव भेजेंगे। लेकिन 5 दिसंबर को मौखिक मना करने के बाद कानून में संशोधन के प्रस्ताव को भेज दिया। अमेरिका में उक्त नीति के चलते किसान मजदूर बन गए। अब वहां बड़े किसान ठेका खेती कर रहे हैं।

गुरुनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार तीनों कानूनों को लेकर ढीढोरा पीट रही है। हर दिन पृथक किसान संगठनो द्वारा कानून को समर्थन दिखया जा रहा है, जिससे आंदोलन को तोड़ा जा सके। सरकार किसानों को कट्टरपंथी, अलगाववादी, चरमपंथी बता रही है। नए तरीके से आंदोलन को बदनाम किया जा रहा है। सरकार की यह कोशिश कामयाब नहीं होगी। आंदोलन को और तेज करने के लिए किसान नेता राज्यों की ओर कूच करेंगे।
आंदोलन को बदनाम किया जा रहा:




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