सुप्रीम कोर्ट करेगा लव जिहाद पर कानून की समीक्षा - NATION WATCH - बदलते भारत की आवाज़ (MAGZINE)

Latest

Advertise With Us:

Advertise With Us:
NationWatch.in

Search This Blog

Breaking News

धर्म के नाम पर आरक्षण संविधान संवत नहीं- केंंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह*CISF के हवाले होगी जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट की सुरक्षा, रिपोर्ट तैयार*अमित शाह एडिटेड वीडियो मामले में जांच के लिए 6 राज्यों में रवाना हुईं दिल्ली पुलिस की टीमें*उत्तराखंड: बारिश से बुझी कुमाऊं इलाके के जंगलों में लगी आग*बिहार: भागलपुर में एनएच-80 पर सड़क हादसा, 6 लोगों की मौत*गुरुग्राम STF और दिल्ली पुलिस का ज्वाइंट ऑपरेशन, लॉरेंस गैंग के 2 शूटर गिरफ्तार*पश्चिम बंगाल: बशीरहाट से BJP प्रत्याशी और संदेशखाली की पीड़िता को मिली X कैटेगरी की सुरक्षा*5 मई को अयोध्या में रोड शो करेंगे पीएम नरेंद्र मोदी || [Nation Watch - Magazine - Title Code - UPHIND-48906]

Nation Watch


Wednesday, January 6, 2021

सुप्रीम कोर्ट करेगा लव जिहाद पर कानून की समीक्षा



सुप्रीम कोर्ट ने अंतर धार्मिक विवाह के नाम पर धर्मांतरण को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में लागू 'लव जिहाद' कानूनों के विवादास्पद प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि, कोर्ट विवादास्पद कानूनों की समीक्षा करने पर राजी हो गया है। सुप्रीम कोर्ट अब इन कानूनों की संवैधानिकता की जांच करेगा, यही कारण है कि कोर्ट ने राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर इस संबंध में जवाब मांगा है। 

मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, न्यायमूर्ति वी रमासुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की खंडपीठ ने विशाल ठाकरे एवं अन्य और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सितलवाड़ के गैर-सरकारी संगठन 'सिटीजन्स फॉर जस्टिस एंड पीस' की याचिकाओं की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड की सरकारों को नोटिस जारी किए। , हालांकि न्यायालय ने संबंधित कानून के उन प्रावधानों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसके तहत शादी के लिए धर्म परिवर्तन की पूर्व अनुमति को आवश्यक बनाया गया है। 

सितलवाड़ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता चंदर उदय सिंह ने दलील दी कि पूर्व अनुमति के प्रावधान दमनकारी हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के अध्यादेश के आधार पर पुलिस ने कथित लव जिहाद के मामले में निदोर्ष लोगों को गिरफ्तार किया है। सुनवाई की शुरुआत में न्यायमूर्ति बोबडे ने याचिकाकतार्ओं को संबंधित उच्च न्यायालय जाने को कहा, लेकिन सिंह और वकील प्रदीप कुमार यादव की ओर से यह बताये जाने के बाद कि दो राज्यों में यह कानून लागू हुआ है और समाज में इससे व्यापक समस्या पैदा हो रही है। वकीलों ने दलील दी कि मध्य प्रदेश और हरियाणा जैसे अन्य राज्य भी ऐसे ही कानून बनाने पर विचार कर रहे हैं। इसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई को लेकर हामी भरते हुए दोनों राज्य सरकारों को नोटिस जारी किये।

क्या कहता है यूपी का कानून : 
यूपी के नए कानून के मुताबिक यह साबित हो जाता है कि धर्म परिवर्तन की मंशा से शादी की गई है, तो दोषी को 10 साल तक की सजा हो सकती है। इसके तहत जबरन, लालच देकर या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन कराने को भी गैर जमानतीय अपराध माना गया है। इसका मतलब है कि पुलिस आरोपी को बिना वारंट के गिरफ्तार करके पूछताछ कर सकती है। तोहफा, पैसा, मुफ्त शिक्षा, रोजगार या बेहर सुख-सुविधा का लालच देकर भी धर्म परिवर्तन कराना अपराध है। धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति के माता-पिता या रिश्तेदार भी केस दर्ज करा सकते हैं। अध्यादेश में सामान्य तौर पर अवैध धर्म परिवर्तन पर पांच साल तक की जेल और 15 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन अनुसूचित जाति-जनजाति की नाबालिग लड़कियों से जुड़े मामले में 10 साल तक की सजा का प्रावधान और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है। पहले पहले के धर्म में दोबारा अपनाने को धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा। अवैध धर्म परिवर्तन कराने का दोबारा दोषी पाए जाने पर सजा दो गुनी हो जाएगी। 

No comments:

Post a Comment

If you have any type of news you can contact us.

AD

Prime Minister Narendra Modi at the National Creators' Awards, New Delhi

NATION WATCH -->