चिट्ठी में सरकार ने किसानों से बातचीत का समय और तारीख तय करने को कहा है। साथ ही यह भी कहा है कि सरकार किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों के तर्कसंगत समाधान खोजने के लिए प्रतिबद्ध है। संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को चिट्ठी लिख कहा था कि वह तीनों कानूनों को निरस्त करवाना चाहती है। हालांकि किसान मोर्चा ने यह भी कहा था कि सरकार साफ नीयत से बातचीत करे तो किसान संगठन इसके लिए तैयार हैं।
अब सरकार ने इसी के जवाब में किसान संगठनों को बातचीत की तारीख बताने को कहा है। साथ ही उन्हें उन अन्य मुद्दों की जानकारी देने के लिए भी कहा गया है जिन पर वो वार्ता करना चाहते हैं।
क्या लिखा है चिट्ठी में?
इस चिट्ठी में लिखा है कि भारत सरकार के लिए देश के सभी किसान संगठनों के साथ वार्ता का रास्ता खुला रखना जरूरी है। सभी किसान संगठनों और किसानों की आदरपूर्वक बात सुनना सरकार का दायित्व है। सरकार ने किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों का उल्लेख करते हुए कहा है कि उठाए गए सभी मुद्दों पर सरकार ने वार्ता की है, अगर कोई और भी मुद्दा है तो सरकार वार्ता करने को तैयार है। चिट्ठी के मुताबिक, यह वार्ता किसान संगठनों की सुझाई तारीख और समय पर नई दिल्ली में विज्ञान भवन में मंत्री स्तरीय समिति के साथ आयोजित की जाएगी।
बता दें कि इससे पहले भी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों को 8 पन्नों की चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा था, 'देश का कृषि मंत्री होने के नाते, मेरा कर्तव्य है कि हर किसान का भ्रम दूर करूं, हर किसान की चिंता दूर करूं। मेरा दायित्व है कि सरकार और किसानों के बीच दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में जो झूठ की दीवार बनाने की साजिश रची जा रही है, उसकी सच्चाई और सही वस्तुस्थिति आपके सामने रखूं।'
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