BJP दे पाएगी ममता को मात? - NATION WATCH - बदलते भारत की आवाज़ (MAGZINE)

Latest

Breaking News

इजरायली सेना प्रमुख ने चेतावनी दी है कि ईरानी मिसाइल हमले का जवाब दिया जाएगा*ओडिशा के जाजपुर में बस हादसा, 5 की मौत, 38 घायल*गुरुग्राम के राजीव चौक के पास हुआ हादसा, फ्लाईओवर से नीचे गिरी गाड़ी*IPL: हैदराबाद ने बेंगलुरु को 25 रनों से हराया*मुलायम परिवार की बहू अपर्णा यादव कल रामपुर में बीजेपी के लिए प्रचार करेंगी*जौनपुर से BSP के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी बाहुबली धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला धनंजय सिंह*'गुजरात के 14% वोटों के कारण ही हम राष्ट्रीय पार्टी बने', पंजाब के सीएम भगवंत मान ने जताया जनता का आभार*पुडुचेरी में रोड शो कर रहे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा || [Nation Watch - Magazine - Title Code - UPHIND-48906]

Nation Watch


Wednesday, December 23, 2020

BJP दे पाएगी ममता को मात?



पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अभी से ही राजनीतिक आजमाइश जारी है। हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की दो दिवसीय यात्रा का समापन किया है, जहां सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सात विधायकों समेत दस नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खास माने जाने वाले शुभेंदु अधिकारी के पार्टी में शामिल होने से भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों में बड़े लाभ की उम्मीद है। शुभेंदु अधिकारी न सिर्फ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टीम के प्रमुख सदस्यों में से एक थे, बल्कि कई सीटों पर अपना प्रभाव रखते थे। बंगाल में जारी सियासी हलचल के बीच हिन्दुस्तान टाइम्स ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और टीएमसी सांसद सौगत राय से बात की है कि अधिकारी के टीएमसी छोड़ने से पार्टी पर कितना असर पड़ेगा? इस पर सौगत रॉय ने हिन्दुस्तान टाइम्स की सुनेत्रा चौधरी को बताया कि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर मामलों में शुभेंदु अधिकारी पर दबाव था, मगर मुस्लिम वोट भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण कारक होगा। तो चलिए जानते हैं सौगत रॉय ने इस एक्सक्लुसिव इंटरव्यू में क्या-क्या कहा है?

सवाल: क्या आप इस बात से सहमत हैं कि बंगाल में भाजपा का प्रभाव बढ़ रहा है?
हर्गिज नहीं। मुझे नहीं लगता कि भाजपा का प्रभाव बढ़ रहा है। उसके धरातल पर कोई प्रमाण नहीं दिखते। अमित शाह चले गए हैं, उन्होंने एक कार्यक्रम में करोड़ों रुपये खर्च किए और उन्हें बहुत सारे लोग मिले लेकिन वे सभी बाहरी हैं। मुझे नहीं लगता कि बड़ी संख्या में लोग भाजपा में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि केवल छह टीएमसी विधायक शामिल हुए, कोई प्रलय नहीं आई है, यह कुछ नहीं है। अमित शाह ने दो रैलियां कीं, यही अगर ममता जाती हैं और रैली करती हैं तो इसका आकार दोगुना होगा। तो इससे कैसे साबित होता है कि भाजपा का प्रभाव बढ़ रहा है?

सवाल: कहा जाता है कि शुभेंदु अधिकारी ममता बनर्जी के उन प्रमुख लोगों में से एक थे, जिन्होंने पूरे नंदीग्राम आंदोलन का नेतृत्व किया था।
नहीं, नहीं, उन्होंने नंदीग्राम आंदोनल का नेतृत्व नहीं किया। उस समय शुभेंदु एक नौजवान थे। वह सिर्फ विधायक बने थे। हालांकि, उन्होंने एक भूमिका निभाई, उनके पिता ने भी इसमें भूमिका निभाई। उन्होंने नंदीग्राम आंदोलन का नेतृत्व नहीं किया, वह नंदीग्राम स्थानीय नहीं हैं। वह एक ऐसी जगह से हैं, जो नंदीग्राम से लगभग 100 किलोमीटर दूर है। मगर शुभेंदु के पास एक लोकप्रिय नेता के रूप में कुछ प्रासंगिकता थी। भाजपा में जाने के बाद वह मुस्लिम समर्थन आधार खो देंगे। सिर्फ नंदीग्राम में ही 40 फीसदी मुस्लिम हैं।

सवाल: तो आप कह रहे हैं कि साधारण अंकगणित के कारण भाजपा की सामान्य रणनीति बंगाल में काम नहीं कर पाएगी?
नहीं, यह काम नहीं करता है। अन्य राजनीतिक कारकों के अलावा, बंगाल में अगर आप भाजपा के साथ हैं, तो आप हार जाएंगे।

सवाल: लेकिन हमने सात लोगों को भाजपा में शामिल होते देखा और उन्होंने कहा कि चुनाव तक कई और शामिल होंगे, क्या यह आपके लिए चिंता का विषय नहीं है?
अभी नहीं। हमारे पास 218 विधायक हैं और मुझे नहीं लगता कि तृणमूल कांग्रेस की संख्या में बड़ी कमी होगी। कुछ लोग जो शुभेंदु अधिकारी के साथ गए हैं, वे ऐसे हैं, जिन्हें इस बार टिकट नहीं मिलेगा। अगर मिलता भी है तो तो वे हार जाएंगे।

सवाल: शुभेंदु अधिकारी ने वास्तव में टीएमसी क्यों छोड़ी?
शुभेंदु अधिकारी बहुत महत्वाकांक्षी हैं, वे मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं या कम से कम उपमुख्यमंत्री। वह टीएमसी में यह आश्वासन चाहते थे और हम उन्हें नहीं दे सके। एक वजह प्रलोभन भी है। भाजपा वित्तीय प्रलोभन की पेशकश करने में सक्षम है और शुभेंदु को ईडी के केस में भी कुछ दिक्कत है। इसलिए इन सभी को साथ लेकर बीजेपी ने उन पर कुछ दबाव डाला और उन्हें कुछ ऑफर किया। मगर आखिरकार, उनका यह सपना पूरा नहीं होगा। बीजेपी ऐसे किसी को भी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री नहीं बनाएगी, जो आरएसएस {राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ} पृष्ठभूमि के से नहीं हैं। असम में  उन्होंने हिमंत बिस्वा शर्मा को मुख्यमंत्री नहीं बनाया। त्रिपुरा में वे बिप्लब देब को लाए, क्योंकि उनके पास आरएसएस पृष्ठभूमि थी।

सवाल: 1 दिसंबर को शुभेंदु अधिकारी के साथ आपकी बैठक में क्या हुआ?
शुभेंदु अधिकारी एक गेम खेल रहे थे। उन्होंने मेरे साथ कई दौर की बातचीत की, फिर हमारी अंतिम बैठक हुई, जिसमें अभिषेक (बनर्जी), सुदीप (बंदोपाध्याय) और प्रशांत किशोर भी मौजूद थे।तब हमने ममता बनर्जी से बात की। हमने शुभेंदु को उनसे बात करने को कहा। ममता ने उनसे कहा "शुभेंदु, आप पार्टी में काम करते हैं, फिर क्या समस्या है?" उन्होंने कहा "नहीं, दीदी, मैं आपके साथ रहूंगा।" इसलिए मैंने यह बात प्रेस से कही। शुभेंदु अधिकारी ने कहा था कि वह 6 दिसंबर को सब कुछ कह देंगे। तब अगले दिन उन्होंने मुझे एक व्हाट्सऐप मैसेज भेजा, जिसमें कहा गया था, 'आपने इसे प्रेस में लीक किया है, हम आपके साथ काम नहीं कर सकते।' मगर बीजेपी के साथ उसका सौदा पहले ही फाइनल हो चुका था। हम जानते थे कि वह बहाने बना रहे हैं। तब वह खुद विधायकों को इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे थे, मगर उन्हें बहुत विधायकों का साथ नहीं मिला।

सवाल: क्या प्रशांत किशोर और उनकी कार्यशैली को लेकर पार्टी के भीतर नाराजगी है?
पार्टी में प्रशांत किशोर कुछ भी तय नहीं करते, वे सिर्फ रणनीति की सलाह देते हैं। वह अच्छा काम कर रहे हैं और पार्टी को अच्छे कार्यक्रम सुझा रहे हैं।

No comments:

Post a Comment

If you have any type of news you can contact us.

NATION WATCH -->