(संतोष कौशल ,बिस्कोहर ,सिद्धार्थनगर)
बिस्कोहर । विकास खंड भनवापुर के कस्बा बिस्कोहर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन शुक्रवार को कथा वाचक पं. वीरेंद्र मणि त्रिपाठी ने राजा उत्तानपाद के वंश में ध्रुव चरित्र की कथा सुनाते हुए समझाया कि धुव की सौतेली मां सुरुचि द्वारा अपमानित होने पर भी उनकी मां सुनिति ने धैर्य नहीं खोया, जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य व संयम की नितांत आवश्यता होती है। कहा कि भक्त के लिए कोई उम्र की बाधा नहीं होती। बचपन कच्ची मिट्टी की तरह होता है। जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो तो श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया गया है। कथा वाचक त्रिपाठी ने सती चरित्र , महाभारत व रामायण से जुड़े विभिन्न प्रसंग श्रद्धालुओं को सुनाया। कहा कि परम सत्ता में विश्वास रखते हुए हमेशा सतकर्म करते रहना चाहिए। सतसंग हमे भलाई के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। कथा सुनने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी रही। कहा कि जब तक जीव माता के गर्भ में रहता है, तब तक बाहर निकलने के लिए छटपटाता रहता है। ईश्वर से अनेक प्रकार के वादे भी करता है, मगर जन्म लेने के पश्चात सांसारिक मोह माया में फंस कर ईश्वर से किए गए वादों को भूल जाता है। इसके परिणाम स्वरूप 84 लाख योनी भोगनी पड़ती है। ध्रुव की साधना, सत्कर्म व ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा के परिणाम स्वरूप ही उन्हें बैकुंठ लोक प्राप्त हुआ। इस दौरान कंदम ऋषि का विवाह सम्पन्न कराते हुए मनोहर झांकी भी प्रस्तुत की गई ।
इस अवसर पर आयोजक मुराली जायसवाल , तारबाबू जायसवाल , रामानंद , लालबाबू जायसवाल , मोनू कौशल , श्यामजी गुप्ता , आनन्द गुप्ता , दुलारे गुप्ता , राम नेवास गुप्ता , राजू पासवान , कन्हैया , जितेन्द्र , गोपाल गुप्ता , पंथबाबू , विकास , कैलाश , रमा शंकर , विनय , आकाश आदि श्रद्धालुं मौजूद रहे।
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