सीटों के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव अपने अंतिम चरण में पहुंच गया और बाकी बची सीटों पर प्रत्याशियों ने जीत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है। इस बीच प्रदेश में एक ऐसी भी सीट है जहां मुख्य विपक्षी दल का प्रत्याशी फरार चल रहा है और दिग्गज नेता उसके प्रचार के लिए पहुंच रहे हैं। जी हां, यहां बात हो रही है मऊ जिले की घोषी लोकसभा सीट से एसपी-बीएसपी गठबंधन के प्रत्याशी अतुल राय की।
मऊ सदर विधायक बाहुबली मुख्तार अंसारी के करीबी अतुल राय घोसी सीट से बीएसपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। अतुल राय के खिलाफ वाराणसी के लंका थाने में यूपी कॉलेज की एक पूर्व छात्रा की तहरीर पर दुष्कर्म सहित अन्य आरोपों में मुकदमा होने के बाद न्यायिक मैजिस्ट्रेट (प्रथम) आशुतोष तिवारी की कोर्ट ने गिरफ्तारी के लिए गैर जमानती वॉरंट जारी किया है। राय जमानत के लिए हाई कोर्ट तक गए लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। अतुल राय की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं
रेप के मामले में अतुल राय की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। अतुल राय को गिरफ्तार करने के लिए तीन थानेदारों की टीमें गाजीपुर तथा मऊ भेजी गई हैं। पुलिस टीमों ने अतुल राय के कई ठिकानों पर छापेमारी की, लेकिन फिलहाल उसका सुराग नहीं लग सका है। माना जा रहा है कि वह हरियाणा में कहीं छिपे हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक पुलिस अतुल के करीबियों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी में है। अतुल राय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने वाली पीड़िता गाजीपुर की रहने वाली है। उसने पुलिस को दी तहरीर में आरोप लगाया है कि पत्नी से मिलाने के बहाने लंका के अपने फ्लैट में बुलाकर अतुल ने उसके साथ दुष्कर्म किया।
लड़की ने आरोप लगाया है कि सीसीटीवी कैमरों से बनाए विडियो वायरल करने की धमकी देकर अतुल राय लगतार यौन शोषण करता रहा। पीड़िता का आरोप है कि अतुल ने उसे परिवार सहित जान से मारने की धमकी भी दी। दूसरी ओर अतुल राय का कहना है कि आरोप लगाने वाली युवती उनके ऑफिस में आती थी और चुनाव लड़ने के नाम पर चंदा लेती थी। लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनने के बाद उसने ब्लैकमेल करने का प्रयास किया। इसका मुकदमा बलिया के नरही थाने में दर्ज करवाया गया है।
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गठबंधन के लिए असहज स्थिति
उधर, गिरफ्तारी से बचने के लिए राय भूमिगत हो गए हैं। इस बीच जहां बीजेपी घोषी में आक्रामक होकर अपना चुनाव प्रचार कर रही है, वहीं गठबंधन के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई है। गठबंधन को समझ में नहीं आ रहा है कि वह राय की कमी को किस तरह से पूरी करे। गठबंधन के मतदाताओं के सामने भी उलझन है कि वे फरार चल रहे प्रत्याशी के पक्ष में वोट करें अथवा उन्हें किसी और विकल्प की तलाश करनी चाहिए।
हालांकि राय के समर्थन में दिग्गज नेताओं का चुनाव प्रचार जारी है। 15 मई को गठबंधन की महारैली होने जा रही है। खुद बीएसपी सुप्रीमो मायावती अतुल राय के बचाव में उतर आई हैं। उन्होंने बीजेपी पर सत्ता का दुरुपयोग करके बीएसपी को बदनाम करने का आरोप लगाया है। मायावती ने कहा, 'बीएसपी महिलाओं का पूरा-पूरा आदर-सम्मान करती है जो जग-जाहिर है लेकिन दुःखद है कि अब चुनाव के समय में भी बीजेपी सत्ता का दुरुपयोग करके बीएसपी को बदनाम करने पर तुली हुई है। घोसी में पार्टी प्रत्याशी के साथ भी ऐसा ही किया जा रहा है जो बीजेपी का यह अति-घिनौना चुनावी हथकंडा है।'
घोसी सीट का चुनावी गणित
घोसी सीट पर करीब 3.5 लाख जाटव (दलित), 2 लाख यादव (ओबीसी), 1.2 लाख राजभर (ओबीसी), एक लाख नोनिया (ओबीसी) और 80 हजार गैर-जाटव दलित वोट हैं। इस सीट पर करीब 4 लाख से ऊपर सवर्ण जातियों के वोट हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी के हरिनारायण राजभर ने बीएसपी के दारा सिंह चौहान को हराया था। राजभर को 3,79,797 वोट और चौहान को 2,33,782 वोट मिले थे।
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उधर, एसपी-बीएसपी गठबंधन का मानना है कि राय के भूमिगत रहने का असर उनके वोट बैंक पर नहीं पड़ेगा। गठबंधन इस सीट पर अपनी जीत का दावा कर रहा है। बीएसपी के जिला प्रभारी ललित कुमार अकेला गांव-गांव जाकर अपने वोटरों को भरोसा दिला रहे हैं। अकेला का दावा है कि राय कहां पर हैं, इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है लेकिन उनकी गैर-मौजूदगी का वोटरों पर कोई असर नहीं पड़ने जा रहा है क्योंकि गठबंधन का वोट पक्का है। हमारे वोट कहीं और नहीं जाने वाले हैं।
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