ढाई साल से मदरसा शिक्षकों को नहीं मिला मानदेय
-जिले के 231 शिक्षकों को मानदेय देने के लिए चाहिए साढ़े सात करोड़
देवरिया
मदरसों में तैनात आधुनिक शिक्षकों को ढाई साल से मानदेय नहीं मिला है। मानदेय नहीं मिलने से शिक्षक जेवर गिरवी रख कर खर्च चलाने को मजबूर हैं। आर्थिक तंगी में जी रहे जिले के 231 मदरसा शिक्षकों का बकाया मानदेय भुगतान के लिए साढ़े सात करोड़ रुपए चाहिए।
मदरसों में दीनी तालीम के साथ हिन्दी, गणित, विज्ञान सामाजिक विषय और कम्प्यूटर आदि विषय को पढ़ाने के लिए पोस्ट ग्रेजुएट और ग्रेजुएट शिक्षक नियुक्त किए गए। जनपद में पंजीकृत 89 मदरसों में 231 शिक्षकों को दुनियावी तालीम देने का जिम्मा सौंपा गया। पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों को केन्द्रांश और राज्यांश मिलकर 15 हजार और ग्रेजुएट 8 हजार रुपए मानदेय देने की व्यवस्था की गई। वर्ष 2015 के अंत तक तो सब कुछ ठीक ठाक चलता रहा लेकिन इसके बाद से केन्द्रांश का आना बंद हो गया। प्रदेश सरकार से भी वर्ष 2017 तक राज्यांश मिला। अब छह महीने से वो भी बंद पड़ा है। एहसानुल्लाह सिद्दिकी कहते हैं कि पिछले एक वर्ष से केन्द्रांश आने की बात कही जा रही है लेकिन आखिर में नतीजा सिफर ही निकलता है। मो जिकरुल्लाह मंसूरी कहते हैं कि ढाई साल से मानदेय नहीं मिलने से उधारी मिलना भी बंद हो गया है। अब तो जेवर गिरवी रख खर्च चलाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है। राजन कुमार कहते हैं कि मानदेय नहीं मिलने से तंगहाली ने जिंदगी की रफ्तार धीमी कर दी है। किसी तरह उधार व्यवहार लेकर गाड़ी आगे बढ़ाई जा रही है।
कोट
मदरसा के आधुनिक शिक्षकों के मानदेय के लिए सरकार को डिमांड भेज दिया गया है। धनराशि मिलते ही शिक्षकों के खाते में भेज दी जाएगी।
नीरज कुमार अग्रवाल, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी
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