अजय कुमार
असिस्टेंट प्रोफेसर इतिहास
राजकीय महाविद्यालय डुमरियागंज सिद्धार्थ नगर
भारत और चीन विश्व की दो सर्वाधिक जनसंख्या वाले विकासशील देश है। चीन का क्षेत्रफल 96 लाख वर्ग किलोमीटर , वहीं भारत का क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर है। दोनों देशों की पहचान विश्व आर्थिक शक्ति के रूप में की जाती है। आज कल भारत चीन के सम्बन्धों की कड़वाहट विश्व भर में छाया हुआ है। इसके पीछे भारत चीन के मध्य सीमा विवाद एवं चीन की आंतरिक चुनौतियों और विश्व राजनीति में भारत की बदलती भूमिका बहुत हद तक उत्तरदायी रही है।
सीमा विवाद
भारत और चीन के मध्य 3488 किमी लंबी सीमा रेखा हैं। इसे _मैकमोहन रेखा_ के नाम से जाना जाता है। इसका निर्धारण 1913 ई में सर हेनरी आर्थर मैकमोहन की अध्यक्षता वाली समिति के आधार पर किया गया।
सीमा निर्धारण को लेकर भारत सचिव मैकमोहन ने 1914ई में अपनी समिति के रिपोर्ट पर चर्चा के लिए शिमला में एक बैठक बुलाई , जिसके आधार पर सीमा का निर्धारण किया गया। यह वही समय था, जब भारत में अंग्रेजी शासन था। 15अगस्त 1947 ई को भारत तथा 1 अक्टूबर 1949 ई को चीन स्वतंत्र हुआ। जहां भारत में पं जवाहरलाल नेहरू, वहीं चीन में माओत्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्ट सरकार अस्तित्व में आई।
प्रारम्भ में भारत-चीन के मध्य बहुत अच्छा सम्बंध था। *हिंदी* *चीनी भाई भाई* का नारा दिया जाता था। भारत और चीन के मध्य 1954ई में भारत और चीन के मध्य पंचशील समझौता हुआ, जिसमें भारत के तरफ तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और चीन के तरफ वहां के प्रधानमंत्री चाउ एन लाई ने हस्ताक्षर किए। इस समझौते के दोनों देश एक दूसरे के मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत करते हुए एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने पर बल दिया।
1956 ई में जवाहरलाल नेहरू ने FORWARD POLICY का अनुसरण किया। इसके तहत देश की सीमाओं को और ज्यादा सुरक्षित रखते हुए , देशी सीमाओं पर निगरानी रखने के लिए सड़क निर्माण एवं निगरानी तंत्र को मजबूत करने पर बल दिया गया।जो आगे चलकर भारत और चीन के मध्य युद्ध का कारण बना। FORWARD POLICY के तहत सीमा पर सड़क निर्माण एवं निगरानी तंत्र को मजबूत बनाने को लेकर चीनी सरकार ने सीमा का उल्लघंन माना। चीन ने आरोप लगाया कि 1914 ई में निर्धारित मैकमोहन रेखा गलत तरीके से निर्धारित किया गया है। यही विवाद 1962 ई के भारत चीन युद्ध का कारण बना। 16 अक्टूबर 1962ई को चीन ने भारत पर हमला कर दिया, यह युद्ध 20 नवंबर 1962 तक चला। इस युद्ध के बाद चीन 38 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को हड़प लिया। कश्मीर का एक बड़ा हिस्सा , जिसे अक्साई चिन के नाम से जाना जाता है, वह चीन के नियंत्रण में चला गया।
आज कल गलवान घाटी में भारत चीन के मध्य खूनी संघर्ष को लेकर पुरी दुनिया में चर्चा है।गलवान घाटी का क्षेत्र लद्दाख के पोंगोत्सों झील का क्षेत्र है।पोंगोत्सों झील का कुछ हिस्सा भारत तथा आधे से ज्यादा हिस्सा चीन के दायरे में आता है। गलवान घाटी का वही क्षेत्र है , जहां अधिकांश नदियों का उद्गम स्थल है, ऐसे में सामरिक दृष्टि से गलवान घाटी के क्षेत्र का महत्व है।15 जून को रात्रि भारत और चीन के सैनिक के मध्य खूनी संघर्ष हुआ, जिसमें दोनों तरफ के सैनिक हताहत हुए।
1962 के युद्ध के बाद 1967 ई और 1975 ई में दोनों देशों के मध्य खूनी संघर्ष हुआ। 45 वर्ष के पश्चात पहली बार 15 जून 2020को खूनी संघर्ष हुआ। यहां तक 2017ई में डोकलाम विवाद के फलस्वरूप 72 दिनों तक दोनों देशों के मध्य सम्बन्धों में कड़वाहट के बावजूद खूनी संघर्ष की नौबत नहीं आई। इस सम्बंध को राजनयिक विमर्श के बाद सुलझा लिया गया।
आज पूरे विश्व में कोरोना महामारी का संकट है। इस महामारी की शुरुआत चीन के बुहान शहर से हुई। दुनिया के लगभग 200 से अधिक देशों में इसका प्रभाव दिखता है। दुनिया के अधिकांश देशों ने इस महामारी के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है। चीन के उपर यह आरोप है कि चीन विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस महामारी के बारे में जानकारी बहुत बाद में दिया। इससे चीन की पुरी दुनिया में आलोचना हो रही है।
जम्मू कश्मीर एक नज़र
जम्मू कश्मीर एक स्वतंत्र रियासत थी, इसका विलय 1948 ई में भारत में हुआ। इसका कुल क्षेत्रफल 2 लाख 42हजार वर्ग किलोमीटर है। इसका 78 हजार वर्ग किलोमीटर पाकिस्तान में, जिसे पाक अधिकृत कश्मीर तथा 5,180 वर्ग किलोमीटर चीन के दायरे में आता है, जिसे अक्साई चिन कहा जाता है।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के बारे में (About Pakistan Occupied Kashmir -POK))
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) को पाकिस्तान ने प्रशासनिक सुविधा के लिए दो हिस्सों में बांट रखा है, जिन्हें सरकारी भाषा में आज़ाद जम्मू-ओ-कश्मीर और गिलगित-बल्तिस्तान कहते हैं. पाकिस्तान में आज़ाद जम्मू और कश्मीर को केवल आज़ाद कश्मीर भी कहते हैं। इसे गैर कानूनी रूप पाकिस्तान कब्जा किया है।
भारत और पाकिस्तान के बीच झगडे की जड़ क्या है?
1947 में पाकिस्तान के पख्तून कबाइलियों ने जम्मू-कश्मीर पर हमला बोल दिया जिसके निपटने के लिए उस समय जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरिसिंह ने भारतीय सरकार से सैन्य सहायता मांगी और भारत सरकार की ओर से तत्कालीन गवर्नर जनरल माउंटबैटन ने 26 अक्टूबर 1947 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किये जिसमे तीन विषयों रक्षा, विदेशी मामलों और संचार को भारत के हवाले कर दिया गया था.
इस संधि के आधार पर भारत का दावा है कि महाराजा हरि सिंह से हुई संधि के परिणामस्वरूप पूरे कश्मीर राज्य पर भारत का अधिकार बनता है. इस आधार भारत का दावा पूरे कश्मीर (पाक अधिकृत कश्मीर एवं आजाद कश्मीर सहित) पर सही है. किन्तु पाकिस्तान भारत के इस दावे को नही मानता है.
पाकिस्तानी क्या दावा क्या है?
पाकिस्तान के दावे का आधार 1933 की पाकिस्तान की घोषणा है. इसके अनुसार तत्कालीन जम्मू एवं कश्मीर राज्य भारत के उन पांच उत्तरी राज्यों में से एक था, जिनमें से मुस्लिम बहुमत के आधार पर पाकिस्तान की स्थापना होनी थी. किन्तु भारत, पाकिस्तान के इस दावे को नही मानता है.
पाक अधिकृत कश्मीर को प्रशासन के लिये दो भागों में बांटा गया:
सन 1947 में पाकिस्तान से हुई लड़ाई के बाद कश्मीर 2 हिस्सों में बंट गया था. कश्मीर का जो हिस्सा भारत से अलग हुआ था, वह जम्मू-कश्मीर नाम से भारत का एक सूबा हो गया, वहीं कश्मीर का जो हिस्सा पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सटा हुआ था, वह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहलाया.
पाकिस्तान ने पाक अधिकृत कश्मीर के प्रशासन को ठीक से चलाने के लिए इसे दो भागों में बाँट दिया है. हालाँकि भारत सरकार के अनुसार पूरा कश्मीर ही भारत के अभिन्न अंग है. नीचे दिया गया नक्सा केवल काल्पनिक है ताकि लोग वर्तमान भौगोलिक स्थिति समझ सकें.
आज़ाद कश्मीर
1. आजाद कश्मीर: भारतीय कश्मीर के पश्चिमी हिस्से से लगा है.
2. उत्तरी क्षेत्र: गिल्गित क्षेत्र महाराजा द्वारा ब्रिटिश सरकार को पट्टे पर दिया गया था. बाल्टिस्तान लद्दाख प्रांत के पश्चिम का क्षेत्र था, जिस पर पाकिस्तान ने 1947 में अधिकार कर लिया था. यह क्षेत्र विवादित जम्मू एवं कश्मीर क्षेत्र का भाग है।
कश्मीर भारत का क्षेत्र था, भारत का है, भारत का रहेगा। कश्मीर भारत का मुकुट है। यह भारत की सुंदरता का प्रतीक है।
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