केजीएमयू में प्लाज्मा थेरेपी की प्रक्रिया शनिवार को शुरू हुई। खास बात यह है कि शनिवार को रमजान का पहला दिन था। प्लाज्मा डोनेशन में भी सांप्रदायिक सद्भाव दिखा। पहले दिन रोजा खोलने के बाद जहां केजीएमयू के रेजिडेंट डॉ. तौसीफ ने प्लाज्मा डोनेट किया तो वहीं लखीमपुर खीरी के उमा शंकर पांडेय भी प्लाज्मा देने पहुंचे। दो अन्य लोगों ने भी प्लाज्मा डोनेशन के लिए अपनी स्वीकृति दे दी है। जल्द ही इनका भी प्लाज्मा लिया जाएगा, जिसे गंभीर मरीजों को चढ़ाएंगे।
कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए उन लोगों का प्लाज्मा कारगर माना गया है जो वायरस की चपेट में आने के बाद ठीक हो चुके हैं। प्लाज्मा डोनेशन के दौरान कुलपति डॉ. एमएलबी भट्ट, मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र, डॉ. डी हिमांशु, डॉ. तूलिका चंद्रा आदि मौजूद रहे।
एक व्यक्ति से लेते हैं 500 एमएल प्लाज्मा
डॉ. तूलिका चंद्रा ने बताया कि एक व्यक्ति से 500 एमएल प्लाज्मा लिया गया है। इसे तीन हिस्सों में बांटा गया है। 200 एमएल के दो पैकेट बनाए गए हैं। वहीं 100 एमएल का एक पैकेट बनाया गया है। इसे स्टोर कर लिया गया है। यदि कोई गंभीर मरीज आएगा तो उसे चढ़ाया जाएगा। डोनर का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है, ऐसे में अभी ये बी पॉजिटिव ग्रुप वाले मरीज को दिया जाएगा। विपरीत ब्लड ग्रुप वालों को भी प्लाज्मा थेरेपी देने की तैयारी है।
रमजान में नेक काम की शुरुआत
केजीएमयू रेजिडेंट डॉ. तौसीफ ने बताया कि रमजान माह में नेक काम शुरू करने का मौका मिला। किसी की जिंदगी बचाने से बड़ा कोई काम नहीं हो सकता है। रोजे के पहले दिन प्लाज्मा डोनेट करने का मौका मिलने से बहुत खुश हूं। इस्लाम में भी इस बात का जिक्र है कि सेहतमंद व्यक्ति दूसरों की जान बचाने के लिए प्लाज्मा अथवा रक्तदान कर सकता है।
दूसरों की जिंदगी बचाना पहला फर्ज
उमा शंकर पांडेय कहते हैं कि कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद मुझे लगा कि जिंदगी खत्म हो जाएगी, लेकिन ऊपर वाले की मेहरबानी और डॉक्टरों की दरियादिली की वजह से बच गया। अब दूसरों की जिंदगी बचाना मेरा फर्ज है। मुझे पता चला कि मेरे प्लाज्मा से दूसरे की जिंदगी बच सकती है तो मैं तैयार हो गया और आज प्लाज्मा डोनेट कर दिया।
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