कोरोना वायरस के चलते पूरे देशभर में लगे लॉकडाउन को आज (24 अप्रैल) से 30 दिन पूरे हो गए। इस एक महीने में मानो दुनिया ही बदल गई। मॉल की चहल-पहल, मल्टीप्लेक्स में फिल्मों की धूम, सड़कों पर गाड़ियों का रेला नहीं दिख रहा। खेल की गतिविधियां रुक गईं। स्कूल-कॉलेज बंद हैं। पढ़ाई अब ऑनलाइन हो रही है। चिड़ियाघर में अब सिर्फ वन्यजीवों का राज है। दूसरे शहरों, राज्यों या देशों के लिए परिवहन ठप है।
गंभीर मरीजों का इलाज ठप, हजारों जिंदगी दांव पर
लॉकडाउन से कोरोना पर तो लगाम कसी पर दूसरी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हजारों मरीजों की जिंदगी दांव पर लग गई है। जांचें, ओपीडी सब ठप हैं। कैंसर मरीजों के ऑपरेशन तक नहीं हो रहे हैं। पीजीआई, लोहिया संस्थान और केजीएमयू में नए कैंसर मरीज नहीं लिए जा रहे हैं। फेफड़े के कैंसर से पीड़ितों को तो डॉक्टर कोरोना समझकर इलाज करने से गुरेज कर रहे हैं। करीब 30 दिन पहले सरकारी अस्पतालों के 90 से 95 प्रतिशत बेड भरे रहते थे। अब 60 प्रतिशत बेड खाली हैं। इन्हें कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित कर दिया गया है। ट्रॉमा सेंटर के 400 बेड तो भरे रहते थे। 150 स्ट्रेचर पर भी मरीजों लिटा कर इलाज मुहैया कराया जाता था। इस वक्त ट्रॉमा में केवल 153 मरीज भर्ती हैं। सभी प्रमुख अस्पतालों के कई वार्डों में एक भी मरीज नहीं है। वहीं 80 प्रतिशत प्राइवेट अस्पताल नए मरीज नहीं ले रहे हैं।
लॉकडाउन से कोरोना पर तो लगाम कसी पर दूसरी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हजारों मरीजों की जिंदगी दांव पर लग गई है। जांचें, ओपीडी सब ठप हैं। कैंसर मरीजों के ऑपरेशन तक नहीं हो रहे हैं। पीजीआई, लोहिया संस्थान और केजीएमयू में नए कैंसर मरीज नहीं लिए जा रहे हैं। फेफड़े के कैंसर से पीड़ितों को तो डॉक्टर कोरोना समझकर इलाज करने से गुरेज कर रहे हैं। करीब 30 दिन पहले सरकारी अस्पतालों के 90 से 95 प्रतिशत बेड भरे रहते थे। अब 60 प्रतिशत बेड खाली हैं। इन्हें कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित कर दिया गया है। ट्रॉमा सेंटर के 400 बेड तो भरे रहते थे। 150 स्ट्रेचर पर भी मरीजों लिटा कर इलाज मुहैया कराया जाता था। इस वक्त ट्रॉमा में केवल 153 मरीज भर्ती हैं। सभी प्रमुख अस्पतालों के कई वार्डों में एक भी मरीज नहीं है। वहीं 80 प्रतिशत प्राइवेट अस्पताल नए मरीज नहीं ले रहे हैं।
उड़ानें बंद हैं, सिर्फ मेडिकल सहायता लेकर आ रहे विमान
एयरपोर्ट पर सन्नाटा पसरा रहता है। इक्का दुक्का विमान आते भी हैं तो राज्य सरकार के या फिर सेना के होते हैं। सेना के विमान मेडिकल किट या अन्य आवश्यक सामग्री लेकर आते रहते हैं। राजधानी से भी कुछ उपकरण या जरूरी सामान दूसरे राज्यों को भेजे जा रहे हैं। यह आया बदलाव-
एयरपोर्ट पर सन्नाटा पसरा रहता है। इक्का दुक्का विमान आते भी हैं तो राज्य सरकार के या फिर सेना के होते हैं। सेना के विमान मेडिकल किट या अन्य आवश्यक सामग्री लेकर आते रहते हैं। राजधानी से भी कुछ उपकरण या जरूरी सामान दूसरे राज्यों को भेजे जा रहे हैं। यह आया बदलाव-
- ना घरेलू और अन्तरराष्ट्रीय टर्मिनल पर आ रहे थे।लॉकडाउन से पहले 16 हजार यात्री रोजा
- 60 उड़ानें नियमित रूप से दूसरे शहरों और देशों के लिए आ जा रही थीं।
- इनमें 11 अन्तरराष्ट्रीय उड़ानें जो मस्कट, अबुधाबी, दुबई, शारजाह, बैंकॉक के लिए चल रही थीं।
रेल पटरियां सूनीं, क्रांसिग हैं खुली
24 घंटे यात्रियों से गुलजार रहने वाले स्टेशनों पर अजीब सा सन्नाटा पसरा है। रेल पटरियां सूनी हैं। हजारों रेल कर्मियों और लाखों यात्रियों की जिंदगी ठहर सी गई है। 291 ट्रेनों से करीब डेढ़ लाख यात्री चारबाग रेलवे स्टेशन से 24 घंटे में सफर करते थे। दिल्ली, मुम्बई, कलकता, जम्मू, बंगलौर, हावड़ा, पंजाब समेत कई राज्यों के बीच ट्रेनें चलती थी।
24 घंटे यात्रियों से गुलजार रहने वाले स्टेशनों पर अजीब सा सन्नाटा पसरा है। रेल पटरियां सूनी हैं। हजारों रेल कर्मियों और लाखों यात्रियों की जिंदगी ठहर सी गई है। 291 ट्रेनों से करीब डेढ़ लाख यात्री चारबाग रेलवे स्टेशन से 24 घंटे में सफर करते थे। दिल्ली, मुम्बई, कलकता, जम्मू, बंगलौर, हावड़ा, पंजाब समेत कई राज्यों के बीच ट्रेनें चलती थी।
सड़कों पर दिख रहे गिने चुने वाहन, टोल प्लाजा पर 20 प्रतिशत वाहन गुजर रहे
लॉकडाउन के बाद से राजधानी के इटौंजा और दखिना टोल प्लाजा पर 20 प्रतिशत वाहन गुजर रहे हैं। एनएचएआई के परियोजना निदेशक एनएन गिरि ने बताया कि 22 मार्च से पहले तक रोजाना करीब 25-30 हजार वाहन गुजरते थे। अब करीब छह हजार वाहन गुजरते हैं। इटौंजा टोल प्लाजा पर रोजाना लगभग दो हजार और दखिना टोल प्लाजा पर चार हजार गाड़ियां गुजरती हैं। एक माह पहले तक सड़कों पर ज्यादातर सिर्फ दो पहिया और चार पहिया वाहन गुजरते थे। अब सभी रास्ते बंद हैं। किसी को भी बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। लखनऊ की डीसीपी (ट्रैफिक) चारू निगम ने बताया कि इन दिनों मुश्किल से पांच से छह हजार वाहन ही सड़कों पर निकल रहे हैं।
लॉकडाउन के बाद से राजधानी के इटौंजा और दखिना टोल प्लाजा पर 20 प्रतिशत वाहन गुजर रहे हैं। एनएचएआई के परियोजना निदेशक एनएन गिरि ने बताया कि 22 मार्च से पहले तक रोजाना करीब 25-30 हजार वाहन गुजरते थे। अब करीब छह हजार वाहन गुजरते हैं। इटौंजा टोल प्लाजा पर रोजाना लगभग दो हजार और दखिना टोल प्लाजा पर चार हजार गाड़ियां गुजरती हैं। एक माह पहले तक सड़कों पर ज्यादातर सिर्फ दो पहिया और चार पहिया वाहन गुजरते थे। अब सभी रास्ते बंद हैं। किसी को भी बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। लखनऊ की डीसीपी (ट्रैफिक) चारू निगम ने बताया कि इन दिनों मुश्किल से पांच से छह हजार वाहन ही सड़कों पर निकल रहे हैं।
कब खुलेंगे सिनेमाघर और मॉल, करोड़ों का नुकसान
राजधानी के सिनेमाघरों में फिल्म देखने के लिए शौकीन लोगों की लंबी लंबी लाइन लगती थी। मौजूदा समय में सब सूना पड़ा है। पिछले एक महीने से सिनेमाघर बंद हैं। शहरवासी अब टीवी और मोबाइल पर ही फिल्म देख रहे हैं। युवाओं में वेब सीरीज देखने की जिज्ञासा बढ़ गई है। वहीं बच्चे कार्टून में बिजी है। मॉल में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। लखनऊ सिनेमा मैनेजर एसोसिशन के अध्यक्ष और नावेल्टी सिनेमा के मैनेजर राजेश खन्ना टंडन ने बताया कि राजधानी में करीब 51 स्क्रीन चल रही थीं। इनका एक महीने का करीब 15 से 20 करोड़ का बिजनेस होता है। वहीं यूपी एग्जिबिटर्स सिनेमा फेडरेशन के अध्यक्ष आशीष अग्रवाल ने बताया कि राजधानी में मॉल में करीब डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा का बिजनेस होता है। इस महामारी की वजह से बिजनेस ठप पड़ा हुआ है।
राजधानी के सिनेमाघरों में फिल्म देखने के लिए शौकीन लोगों की लंबी लंबी लाइन लगती थी। मौजूदा समय में सब सूना पड़ा है। पिछले एक महीने से सिनेमाघर बंद हैं। शहरवासी अब टीवी और मोबाइल पर ही फिल्म देख रहे हैं। युवाओं में वेब सीरीज देखने की जिज्ञासा बढ़ गई है। वहीं बच्चे कार्टून में बिजी है। मॉल में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। लखनऊ सिनेमा मैनेजर एसोसिशन के अध्यक्ष और नावेल्टी सिनेमा के मैनेजर राजेश खन्ना टंडन ने बताया कि राजधानी में करीब 51 स्क्रीन चल रही थीं। इनका एक महीने का करीब 15 से 20 करोड़ का बिजनेस होता है। वहीं यूपी एग्जिबिटर्स सिनेमा फेडरेशन के अध्यक्ष आशीष अग्रवाल ने बताया कि राजधानी में मॉल में करीब डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा का बिजनेस होता है। इस महामारी की वजह से बिजनेस ठप पड़ा हुआ है।
प्रकृति की गोद में समाया चिड़ियाघर
सभी पर्यटक स्थलों को चार हफ्ते पहले बंद कर दिया गया था। नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान में आखिरी बार 15 मार्च को दर्शकों ने सैर का आनंद उठाया था। अब प्रदूषण स्तर कम होने से चिड़ियाघर व उसके आसपास की हवा शुद्ध हो गई है। अंदर बने तितली पार्क में हजारों रंग बिरंगी तितलियां देखने को मिल रही हैं। बाड़ों में रह रहे वन्यजीव भी ये बदलाव महसूस कर रहे हैं। चिंपैंजी हो या ईमो सभी पशु-पक्षियों की दिनचर्या पहले से अधिक सक्रिय नजर आती है। चिड़ियाघर के ठीक पीछे शहर का पुराना इलाका नरही बसा है, निवासियों को भी वन क्षेत्र के करीब अद्भुत अनुभव हुये। स्थानीय निवासी ताराचंद्र शर्मा का कहना है कि लॉकडाउन के चलते अब एक बार फिर जंगल की गूंज साफ सुनाई देने लगी है।
सभी पर्यटक स्थलों को चार हफ्ते पहले बंद कर दिया गया था। नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान में आखिरी बार 15 मार्च को दर्शकों ने सैर का आनंद उठाया था। अब प्रदूषण स्तर कम होने से चिड़ियाघर व उसके आसपास की हवा शुद्ध हो गई है। अंदर बने तितली पार्क में हजारों रंग बिरंगी तितलियां देखने को मिल रही हैं। बाड़ों में रह रहे वन्यजीव भी ये बदलाव महसूस कर रहे हैं। चिंपैंजी हो या ईमो सभी पशु-पक्षियों की दिनचर्या पहले से अधिक सक्रिय नजर आती है। चिड़ियाघर के ठीक पीछे शहर का पुराना इलाका नरही बसा है, निवासियों को भी वन क्षेत्र के करीब अद्भुत अनुभव हुये। स्थानीय निवासी ताराचंद्र शर्मा का कहना है कि लॉकडाउन के चलते अब एक बार फिर जंगल की गूंज साफ सुनाई देने लगी है।
10 बड़े ट्यूबवेलों के रीबोर का काम रुका
नए वित्तीय वर्ष में इस बार जलकल विभाग को राजधानी के 10 इलाकों के ट्यूबवेलों को रीबोर कराने का काम शुरू करना था लेकिन लॉकडाउन के चलते काम ठप है। इससे गर्मियों में लोगों को खासी दिक्कत हो सकती है। पेजयल की समस्या को दूर करने के लिए युद्ध स्तर पर काम शुरू करना पड़ेगा।
नए वित्तीय वर्ष में इस बार जलकल विभाग को राजधानी के 10 इलाकों के ट्यूबवेलों को रीबोर कराने का काम शुरू करना था लेकिन लॉकडाउन के चलते काम ठप है। इससे गर्मियों में लोगों को खासी दिक्कत हो सकती है। पेजयल की समस्या को दूर करने के लिए युद्ध स्तर पर काम शुरू करना पड़ेगा।
लाख रुपये ही प्रतिदन हो रही जलकर वसूली
जलकल महाप्रबंधक एसके वर्मा ने बताया कि जब लॉकडाउन शुरू हुआ तो मार्च का महीना था। अब अप्रैल शुरू होते ही नया वित्तीय वर्ष शुरू हो गया। इसको देखते हुए वसूली तो प्रभावित हुई है। अप्रैल माह में 30 से 35 लाख प्रतिदिन जल व सीवरकर की वसूली हुआ करती थी। लॉकडाउन के दौरान हमने ऑनलाइन बिल जमा करवाने की व्यवस्था शुरू की है जिससे प्रतिदिन 10 से 12 लाख वसूली आ रही है।
जलकल महाप्रबंधक एसके वर्मा ने बताया कि जब लॉकडाउन शुरू हुआ तो मार्च का महीना था। अब अप्रैल शुरू होते ही नया वित्तीय वर्ष शुरू हो गया। इसको देखते हुए वसूली तो प्रभावित हुई है। अप्रैल माह में 30 से 35 लाख प्रतिदिन जल व सीवरकर की वसूली हुआ करती थी। लॉकडाउन के दौरान हमने ऑनलाइन बिल जमा करवाने की व्यवस्था शुरू की है जिससे प्रतिदिन 10 से 12 लाख वसूली आ रही है।
प्राइमरी से लेकर इंजीनियरिंग तक बदला पढ़ाई का ट्रेंड
लॉकडाउन ने प्राइमरी, माध्यमिक, डिग्री कॉलेज समेत इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाई का ट्रेंड बदल दिया है। व्हाट्सएप, गूगल बाइट, जूम एप के जरिए छात्रों की नियमित कक्षाएं लग रही हैं। एकेटीयू ने अपने यहां वर्चुअल प्रैक्टिकल कराने को भी हरी झंडी दे दी है। सबसे ज्यादा कायाकल्प प्राइमरी स्कूलों का हुआ है। कम संसाधनों में शिक्षक व्हाट्सएप के जरिए छात्रों की न सिर्फ नियमित कक्षाएं ले रहे हैं बल्कि उनके टेस्ट भी करा रहे हैं। प्रदेश के 900 से अधिक शिक्षक करीब 25 हजार से अधिक बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं। प्रदेश के 750 इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ने वाले 2.5 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को सबसे अधिक फायदा पहुंच रहा है। यहां पर 80 प्रतिशत कोर्स शिक्षकों ने ऑनलाइन पूरा करा दिया है। कुलपति प्रो विनय पाठक बताते हैं कि लॉकडाउन ने ऑनलाइन कक्षाओं का नया विकल्प खोल दिया है।
लॉकडाउन ने प्राइमरी, माध्यमिक, डिग्री कॉलेज समेत इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाई का ट्रेंड बदल दिया है। व्हाट्सएप, गूगल बाइट, जूम एप के जरिए छात्रों की नियमित कक्षाएं लग रही हैं। एकेटीयू ने अपने यहां वर्चुअल प्रैक्टिकल कराने को भी हरी झंडी दे दी है। सबसे ज्यादा कायाकल्प प्राइमरी स्कूलों का हुआ है। कम संसाधनों में शिक्षक व्हाट्सएप के जरिए छात्रों की न सिर्फ नियमित कक्षाएं ले रहे हैं बल्कि उनके टेस्ट भी करा रहे हैं। प्रदेश के 900 से अधिक शिक्षक करीब 25 हजार से अधिक बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं। प्रदेश के 750 इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ने वाले 2.5 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को सबसे अधिक फायदा पहुंच रहा है। यहां पर 80 प्रतिशत कोर्स शिक्षकों ने ऑनलाइन पूरा करा दिया है। कुलपति प्रो विनय पाठक बताते हैं कि लॉकडाउन ने ऑनलाइन कक्षाओं का नया विकल्प खोल दिया है।
200 करोड़ का नुकसान हुआ, 60 फीसदी दुकानें बंद
पिछले वर्ष प्रदेश में लगभग 70 हजार करोड़ रुपये टैक्स के रूप में वसूले गए थे। लेकिन इस बार 30 दिन के अंदर शहर में लगभग दो सौ करोड़ रुपये का टैक्स का नुकसान हुआ है। पिछली बार शहर से भी लगभग 15 सौ करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। कारोबारी नेता अमरनाथ मिश्र बताते हैं कि 60 फीसदी दुकानें बंद हैं। वाणिज्य कर विभाग के सांख्यिकी अधिकारियों की मानें तो व्यापारियों का कारोबार बंद होने से दो सौ करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हुआ है।
पिछले वर्ष प्रदेश में लगभग 70 हजार करोड़ रुपये टैक्स के रूप में वसूले गए थे। लेकिन इस बार 30 दिन के अंदर शहर में लगभग दो सौ करोड़ रुपये का टैक्स का नुकसान हुआ है। पिछली बार शहर से भी लगभग 15 सौ करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ था। कारोबारी नेता अमरनाथ मिश्र बताते हैं कि 60 फीसदी दुकानें बंद हैं। वाणिज्य कर विभाग के सांख्यिकी अधिकारियों की मानें तो व्यापारियों का कारोबार बंद होने से दो सौ करोड़ रुपये राजस्व का नुकसान हुआ है।
गरीबों के लिए मसीहा बना नगर निगम
लॉकडाउन से नगर निगम के राजस्व को 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। इसके बावजूद नगर निगम बिना किसी सरकारी मदद या नगर निगम के कोष से धन खर्च किए लगभग 90 हजार लोगों हो हर दिन भोजन मुहैया करा रहा है। नगर निगम ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 335 करोड़ रुपए हाउस टैक्स वसूली का लक्ष्य रखा था लेकिन 211 करोड़ ही वसूली हो सकी।
लॉकडाउन से नगर निगम के राजस्व को 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। इसके बावजूद नगर निगम बिना किसी सरकारी मदद या नगर निगम के कोष से धन खर्च किए लगभग 90 हजार लोगों हो हर दिन भोजन मुहैया करा रहा है। नगर निगम ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 335 करोड़ रुपए हाउस टैक्स वसूली का लक्ष्य रखा था लेकिन 211 करोड़ ही वसूली हो सकी।
लॉकडाउन ने जहां कई सकारात्मक और अच्छाइयां दी हैं वहीं कई दिक्कतें भी पैदा की हैं। यह अच्छाइयां और दिक्कते हर तबके लिए हैं।
अच्छी बातें
- परिजनों के साथ समय बिता रहे हैं
- घर का बना भोजन कर रहे हैं जो स्वाद के साथ सेहत के लिए भी अच्छा है
- भीतर ही जंग खा रही प्रतिभा और क्रिएटिविटी बाहर आ रही है
- दिन-भर की भाग दौड़ के बीच घर में आराम करने का एक बढ़िया मौका मिला
- तमाम के फालतू खर्च से फिलहाल निजात मिली
- लोगों में एक-दूसरे की मदद करने का जज्बा और ज्यादा बढ़ा
बुरी बातें
- बंद होने से बड़ा नुकसानकाम-धंधे
- स्कूली बच्चों और कई क्षेत्रों में अपना भविष्य तलाशने वालों को झटका
- खिलाड़ियों की ऑफ सीजन ट्रेनिंग चौपट
- फिटनेस के लिए मार्निंक एवं इवनिंग वॉक (खासकर मधुमेह और रक्तचाप) करने वालों के सामने दिक्कत
नुकसान
- काम-धंधे बंद होने से बड़ा नुकसान
- स्कूली बच्चों और कई क्षेत्रों में अपना भविष्य तलाशने वालों को झटका
- खिलाड़ियों की ऑफ सीजन ट्रेनिंग चौपट
- फिटनेस के लिए मार्निंक एवं इवनिंग वॉक (खासकर मधुमेह और रक्तचाप) करने वालों के सामने दिक्कत
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