उत्तर प्रदेश में महागठबंधन का जादू चल गया, कैराना में राष्ट्रीय लोक दल की तबस्सुम हसन ने 30 हजार से अधिक वोटों की बनाई बढ़त, नूरपुर विधानसभा सीट पर भी समाजवादी पार्टी की बढ़त, बंगाल में नहीं हो पाई भाजपा की इंट्री, बिहार में फीके पड़े नीतीश कुमार, कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को आरआर नगर की सीट पर भारी बढ़त से जनता की मुहर.
सत्ता के सेमीफाइनल में भारतीय जनता पार्टी के लिए परेशान करने वाली खबर आई है। उत्तर प्रदेश में लगभग क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा का विधानसभा चुनाव के बाद खाता भी नहीं खुल पाया है। गोरखपुर व फूलपुर लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा कैराना लोकसभा चुनाव में भी पिछड़ती नजर आ रही है। भाजपा की उम्मीदवार मृगांका सिंह राष्ट्रीय लोक दल की उम्मीदवार तबस्सुम हसन से करीब 41 हजार वोटों से पीछे चल रही हैं। नौ दौर की मतगणना पूरी हो गई है। इसके अलावा नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में भी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार की बढ़त बनी हुई है। उत्तर प्रदेश में भाजपा को लगातार मिल रही हार ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी है।
उत्तर प्रदेश में इस बार महागठबंधन के बैनर तले उप चुनाव लड़ा गया। महागठबंधन में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस व राष्ट्रीय लोकदल शामिल हुए। इस महागठबंधन ने अपने-अपने दलों के वोट को एकजुट करने में सफलता हासिल कर ली है। यह स्थिति भाजपा केंद्रीय नेतृत्व और राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ की विफलता को दिखाता है। भाजपा अपने वोट बैंक को अपनी ओर लाने में कामयाब नहीं हो पा रही है। सबसे बड़ा सवाल तो सीएम योगी आदित्यनाथ पर खड़ा हो गया है। उप चुनावों को स्थानीय नेतृत्व की परीक्षा माना जाता है। इस बार कैराना में सीएम योगी की पसंद के उम्मीदवार को टिकट दिया गया। इसके बाद भी हार से उनकी बात अब केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच पाने में कामयाब नहीं होगी। यूपी में 80 सीटें हैं और दिल्ली की राह यूपी से ही होकर जाती है। इस विपक्षी गठबंधन ने अब मोदी सरकार की नींव हिलानी शुरू कर दी है।
मेघालय में कांग्रेस को जीत मिली है। इस प्रकार उसकी 21 सीटें हो गई हैं और वह विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी हो गई है। महाराष्ट्र के पालघर में भारतीय जनता पार्टी जीत की ओर है। शिव सेना के साथ भाजपा का सीधा मुकाबला है। शिव सेना ने वहां ईवीएम का मुद्दा उठाया है। कर्नाटक के राज राजेश्वरी नगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार जीत की ओर बढ़ रहा है। इससे साफ हो गया है कि लोगों में कांग्रेस व जेडीएस गठबंधन को जनता की मुहर लग गई है। वहीं, झारखंड के सिल्ली व गोमिया में झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। महाराष्ट्र के भंडारा-गोमिया में एनसीपी उम्मीदवार आगे चल रहे हैं।
बिहार के जोकीहाट विधानसभा चुनाव में सीएम नीतीश कुमार का जादू अब समाप्त होता दिख रहा है। वहां पर राजद की बढ़त लगातार बरकरार है। तेजस्वी यादव ने पहले ही जीत का दावा किया था। उनका दावा सही साबित होता दिख रहा है। नीतीश कुमार बिहार के सीएम बनने के बाद से कोई सीट जीत नहीं बचा पाए हैं। जहानाबाद के बाद जोकीहाट में उनकी पार्टी की जबर्दस्त हार होती दिख रही है। ऐसे में उनके एनडीए में बेहतर मोलभाव करने का अब मौका नहीं मिलेगा। हाल के दिनों में जिस प्रकार से नीतीश कुमार ने भाजपा के खिलाफ बात करनी शुरू की है, उससे भी जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हुई है। इसमें विकल्प लोगों को भाजपा या राजद दिख रहा है। अररिया क्षेत्र राजद की बढ़त वाला क्षेत्र है। ऐसे में नीतीश कुमार को वहां से कोई बहुमत नहीं मिलता दिख रहा है। वहीं, बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को 47 हजार से अधिक वोटों से बढ़त मिल रही है।
सचिन श्रीवास्तव , लखनऊ
सत्ता के सेमीफाइनल में भारतीय जनता पार्टी के लिए परेशान करने वाली खबर आई है। उत्तर प्रदेश में लगभग क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा का विधानसभा चुनाव के बाद खाता भी नहीं खुल पाया है। गोरखपुर व फूलपुर लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा कैराना लोकसभा चुनाव में भी पिछड़ती नजर आ रही है। भाजपा की उम्मीदवार मृगांका सिंह राष्ट्रीय लोक दल की उम्मीदवार तबस्सुम हसन से करीब 41 हजार वोटों से पीछे चल रही हैं। नौ दौर की मतगणना पूरी हो गई है। इसके अलावा नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में भी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार की बढ़त बनी हुई है। उत्तर प्रदेश में भाजपा को लगातार मिल रही हार ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी है।
उत्तर प्रदेश में इस बार महागठबंधन के बैनर तले उप चुनाव लड़ा गया। महागठबंधन में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, कांग्रेस व राष्ट्रीय लोकदल शामिल हुए। इस महागठबंधन ने अपने-अपने दलों के वोट को एकजुट करने में सफलता हासिल कर ली है। यह स्थिति भाजपा केंद्रीय नेतृत्व और राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ की विफलता को दिखाता है। भाजपा अपने वोट बैंक को अपनी ओर लाने में कामयाब नहीं हो पा रही है। सबसे बड़ा सवाल तो सीएम योगी आदित्यनाथ पर खड़ा हो गया है। उप चुनावों को स्थानीय नेतृत्व की परीक्षा माना जाता है। इस बार कैराना में सीएम योगी की पसंद के उम्मीदवार को टिकट दिया गया। इसके बाद भी हार से उनकी बात अब केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच पाने में कामयाब नहीं होगी। यूपी में 80 सीटें हैं और दिल्ली की राह यूपी से ही होकर जाती है। इस विपक्षी गठबंधन ने अब मोदी सरकार की नींव हिलानी शुरू कर दी है।
मेघालय में कांग्रेस को जीत मिली है। इस प्रकार उसकी 21 सीटें हो गई हैं और वह विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी हो गई है। महाराष्ट्र के पालघर में भारतीय जनता पार्टी जीत की ओर है। शिव सेना के साथ भाजपा का सीधा मुकाबला है। शिव सेना ने वहां ईवीएम का मुद्दा उठाया है। कर्नाटक के राज राजेश्वरी नगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार जीत की ओर बढ़ रहा है। इससे साफ हो गया है कि लोगों में कांग्रेस व जेडीएस गठबंधन को जनता की मुहर लग गई है। वहीं, झारखंड के सिल्ली व गोमिया में झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। महाराष्ट्र के भंडारा-गोमिया में एनसीपी उम्मीदवार आगे चल रहे हैं।
बिहार के जोकीहाट विधानसभा चुनाव में सीएम नीतीश कुमार का जादू अब समाप्त होता दिख रहा है। वहां पर राजद की बढ़त लगातार बरकरार है। तेजस्वी यादव ने पहले ही जीत का दावा किया था। उनका दावा सही साबित होता दिख रहा है। नीतीश कुमार बिहार के सीएम बनने के बाद से कोई सीट जीत नहीं बचा पाए हैं। जहानाबाद के बाद जोकीहाट में उनकी पार्टी की जबर्दस्त हार होती दिख रही है। ऐसे में उनके एनडीए में बेहतर मोलभाव करने का अब मौका नहीं मिलेगा। हाल के दिनों में जिस प्रकार से नीतीश कुमार ने भाजपा के खिलाफ बात करनी शुरू की है, उससे भी जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हुई है। इसमें विकल्प लोगों को भाजपा या राजद दिख रहा है। अररिया क्षेत्र राजद की बढ़त वाला क्षेत्र है। ऐसे में नीतीश कुमार को वहां से कोई बहुमत नहीं मिलता दिख रहा है। वहीं, बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को 47 हजार से अधिक वोटों से बढ़त मिल रही है।
सचिन श्रीवास्तव , लखनऊ
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